आज 30 मार्च, गुरुवार को राम नवमी का पावन पर्व है। आज देशभर के सभी राम मंदिरों में भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। राम नवमी (Ram Navami) का व्रत रखें और भगवान राम की पूजा करें। इससे आपके कार्य सफल होंगे और मनोकामनाएं पूरी होंगी। कहा जाता है कि अगर आप पर भगवान राम की कृपा है तो हनुमान जी भी आप पर आसानी से प्रसन्न हो जाएंगे, क्योंकि वे भी भगवान राम के परम भक्त हैं।
काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार आज राम नवमी के दिन पूजा करते समय यदि आप रामचरितमानस का पूरा पाठ नहीं पढ़ सकते हैं तो आपको केवल तीन काम करने चाहिए। सबसे पहले रामलाल का अक्षत, पुष्प, चंदन, फल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से पूजन करें। इसके बाद सबसे पहले रामलाल की राम वंदना करें। फिर भगवान राम की स्तुति करें। उसके बाद जन्मोत्सव के समय श्री राम अवतार प्रकट भए कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी…पढ़िए। इन तीनों का पाठ करने से आपको श्रीराम जी की पूजा का लाभ मिलेगा। भगवान राम की कृपा आप पर बनी रहेगी।
श्री राम वंदना
आपदामपहर्तारं दातारां सर्वसम्पदाम्।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो-भूयो नामाम्यहम्।।
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे।
रघुनाथरय नाथाय सीताया: पतये नम:।।
नीलांबुजश्यामलकोमलांग
सीतासमारोपितवामभागम्।
पाणौ महासायकचारुचापं
नमामि रामं रघुवंशनाथम्।।

श्रीराम स्तुति
श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं।
नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर-कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील नीरज सुन्दरम्।
पट पीत मानहु तड़ित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्यवंश-निकंदनम्।
रघुनंद आनंदकंद कोशलचंद दशरथ-नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खरदूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनम्।
मम ह्रदय-कुंज निवास कुरु, कामादी खल-दल-गंजनम्।।
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हियं हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनी पुनी मुदित मन मंदिर चली।।
सोरठा
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।
“बोलो सियावर राम चन्द्र की जय “

श्रीरामावतार
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।।
लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा, निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला, सोभासिंधु खरारी।।
कह दुई कर जोरी, अस्तुति तोरी, केहि बिधि करूं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना, वेद पुरान भनंता।।
करूना सुख सागर, सब गुन आगर, जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी, भयउ प्रगट श्रीकंता।।
ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया, रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी, यह उपहासी, सुनत धीर मति थिर न रहै॥
उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना, चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई, जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥
माता पुनि बोली, सो मति डोली, तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला, यह सुख परम अनूपा॥
सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना, होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं, ते न परहिं भवकूपा॥

राम नवमी के पवन त्यौहार पर आप ये रेसिपीज खा सकते है
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क्या है रामनवमी की कहानी?
यह त्योहार अयोध्या, कोसल में राजा दशरथ और रानी कौशल्या के जन्म के माध्यम से विष्णु के वंश को राम अवतार के रूप में मनाता है। यह त्योहार वसंत ऋतु में चैत्र नवरात्रि का एक हिस्सा है, और हिंदू कैलेंडर में पहले महीने के शुक्ल पक्ष (शुक्ल पक्ष) के नौवें दिन पड़ता है।
हम राम नवमी क्यों मनाते हैं?
Ram Navami 2023: राम नवमी को हिंदुओं के सबसे बड़े और शुभ त्योहारों में से एक माना जाता है।भगवान राम ने त्रेता युग में अयोध्या की पवित्र भूमि पर इस शुभ दिन पर जन्म लिया था। यह दिन दुनिया भर में करोड़ों भक्तों द्वारा मनाया जाता है।
प्रसिद्ध रामनवमी कौन सी है?
रामेश्वरम के श्री कोठंडाराम स्वामी मंदिर में भव्य रामनवमी उत्सव देखा जा सकता है। भक्त राम के विवाह समारोह में भाग लेते हैं, उनके नाम का जाप करते हैं और इस दिन उपवास रखते हैं। यहां का रामेश्वरम मंदिर बहुत प्रसिद्ध है।
क्या रामनवमी शादी के लिए अच्छी है?
दक्षिण भारत में, लोगों का मानना है कि राम नवमी वह दिन भी है जिस दिन भगवान राम ने देवी सीता से विवाह किया था और इसलिए इस दिन कई विवाह समारोह आयोजित किए जाते हैं। दक्षिण भारत के लोग इस दिन भद्राचलम का त्योहार मनाते हैं और राम और सीता की शादी की सालगिरह मनाते हैं।
रामनवमी पर क्यों की जाती है हनुमानजी की पूजा?
यह एक पुराना धार्मिक स्थल है। यहाँ पहाड़ी की चोटी की मांद में, माता अंजनी ने भगवान हनुमान को जन्म दिया था, यह आदिवासियों द्वारा माना जाता है। यही कारण है कि इस आदिवासी बसे हुए राज्य में लोग भगवान हनुमान की पूजा करके राम नवमी मनाते हैं, समाजशास्त्री गुरुनाम कुमार ने कहा।
राम के मरने पर हनुमान ने क्या किया?
हनुमान ने नैनो रूप धारण किया और दरार में डुबकी लगा दी। केवल, दरार पृथ्वी में कोई साधारण दरार नहीं थी। यह सीधे नाग लोक, नाग राजा वासुकी की दुनिया की ओर ले गया। एक बार जब वे वहाँ पहुँचे तो वे वासुकी से मिले और उनसे राम की अंगूठी के बारे में पूछा।
भगवान राम कितने वर्ष जीवित रहे?
हम इस समय 28वें चतुर्युगी के कलयुग में हैं और कलयुग के अब तक 5,108 वर्ष बीत चुके हैं। यदि हम यह मान लें कि राम वास्तव में 24 वें त्रेता युग के अंतिम चरण के दौरान थे, तो यह गणना की जा सकती है कि वे 1,81,49,108 वर्ष पहले हुए थे।
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