मैंगो मुरब्बा (Mango Murabba) बच्चों को बहुत पसंद आता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज हम आम का मुरब्बा बनाने जा रहे हैं और आम पन्ना भी। ये दोनों ही खाने और पीने में बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं। इन्हें बनाना भी बेहद आसान है, ये कुछ ही समय में बनकर तैयार हो जाते हैं। तो बनाइये यह स्वादिष्ट मुरब्बा और अपने बच्चों को इसके स्वाद का लुत्फ़ उठाइये।

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Aam Ka Murabba Recipe
मैंगो मुरब्बा के लिए सामग्री | Ingredients for Mango Murabba
- कच्चा आम – 1 किलो
- चीनी – 4 कप (800 ग्राम)
- दालचीनी – 2-3 छड़ें
- इलायची – 4, कुटी हुई
- केसर रेशे – 20-25
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मैंगो मुरब्बा बनाने की विधि | Process of making Mango Murabba
1 किलो आम को धोकर छील लें। अब इन्हें मनचाहे आकार में काट कर बाउल में डालें। एक पैन में पानी उबालें और उसमें डाल कर पकाएं। इसे ज्यादा नरम न करें, बस चाकू से आसानी से काट लें। पक जाने पर इन्हें छान लें और इनका पानी अलग रख दें। – अब उबले हुए आम को एक बड़े प्याले में निकाल लीजिए, इसमें 4 कप (800 ग्राम) चीनी डालकर ढककर 1 घंटे के लिए रख दीजिए।

समय खत्म होने के बाद एक स्टील की कड़ाही में आम और चीनी डालकर मध्यम आंच पर पकाएं। याद रहे आपको इसे बीच-बीच में चलाते रहना है। इसमें 2-3 दालचीनी की डंडी, साथ ही केसर के 20-25 धागे एक प्याले में डालिये और कढ़ाई में से थोड़ा सा पानी मिलाकर रंग छोड़ने तक रख दीजिये। इसे तब तक पकाना है जब तक चाशनी एक तार की न हो जाए।

उबाल आने पर इसमें 4 इलायची कुटी हुई डाल कर मिला दीजिये, फिर चलाते हुये तार आने तक पका लीजिये। चाशनी अच्छी तरह तैयार हो जाने पर इसमें केसर के धागे का मिश्रण डालकर मिला दीजिये, आम का मुरब्बा तैयार हो जायेगा।

इसे 4-5 घंटे के लिए ठंडा होने रख दें और फिर इसे रोटी के साथ या ऐसे ही खाएं और इसके स्वाद का आनंद लें।
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मुरब्बा का इतिहास क्या है?
मुरब्बा (Mango Murabba) की उत्पत्ति की कहानी वैश्विक व्यापार, विजय, प्रवासन और खाद्य विज्ञान के साथ निकटता से जुड़ी हुई है। यह व्यापक रूप से माना जाता है कि भारत में गन्ने से बड़े पैमाने पर चीनी का उत्पादन सदियों पहले शुरू हुआ था। यहाँ से, चीनी फारस चली गई, जहाँ इसे औषधीय मसाले के रूप में बेशकीमती माना जाता था।
मुरब्बा का आविष्कार किसने किया था?
कहा जाता है कि मुगल जब 1526 में मध्य एशिया के विभिन्न हिस्सों से भारत आए तो अपनी संस्कृति और विरासत लाने के साथ-साथ मुरब्बा भी लाए, जो जल्द ही राजघराने का प्रतीक बन गया।
क्या है मुरब्बे का महत्व?
यदि लगभग छह महीने तक नियमित रूप से लिया जाए, तो आंवला मुरब्बा आपकी त्वचा पर मुँहासे के धब्बे, खामियों और निशान को कम करने में मदद कर सकता है, साथ ही इसे प्राकृतिक रूप से ठीक भी कर सकता है। खरोंच को कम करने के लिए आपको इसे छह महीने तक पीना चाहिए। इसके अलावा, क्योंकि आंवला मुरब्बा विटामिन सी से भरपूर होता है, यह रंगत को काफी बढ़ा सकता है।